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Friday 26 July 2013

सेवा भारती छत्तीसगढ

सेवा भारती छत्तीसगढ

 
सेवा�भारतीद्रारासंचालित�मातृछायामे समाजिक एवं अन्यं कारणों से त्यागे नवजात शिशुओ का पालन पोषण किया जाता है ! जिनकी आयु 0 से 6 वर्ष तक हो और जिनके माता पिता का पता हो ऐसे शिशुओ को मातृछाया मैं स्वीकार किया जाता है ऐसे शिशु चिकित्सालय पुलिस थानों से प्राप्त होते है अथवा कोई मातृछाया के झूले मे डाल जाता है ! इन शिशुओ का पालन पोषण विकास समर्पित कार्यकर्ताओ के द्रारा परिवारिक वातावरण मे किया जाता है ! संस्था को कल्याण विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन से मान्यता है मातृछाया के संचालन एवं दत्तक ग्रहण अभिकरण के रूप मे मान्यता है जहाँ इन शिशुओ को परिवार की आवश्कता होती है, वहीँ ऐसे अनेक दम्पत्ति है , जिनकी अपनी कोई संतति नहीं है , तथा उनको वात्सल्य प्रदान करने के लिए एक नन्हा सा शिशु चाहिए , ऐसे दम्पत्ति को हिन्दू दत्तक ग्रहण अधिनियम के तहत न्यालायिन प्रक्रिया के माध्यम से सेवा भारती मातृछाया के निर्दोष नन्हे शिशु को प्रदान किया जाता है ! यह नन्हा या शिशु गोद लेने वाले दम्पत्ति का अपना हो जाता है !
छात्रावास
आज भी अपने देश मे हजारो ऐसे वनवासी या ग्रामीण�क्षेत्र�है जहाँ विद्यालय नहीं है फलस्वरूप अनेक बच्चो या तो विद्यालय मे प्रवेश लेते है या अपनी पढाई बीच मे छोड देते है ! ऐसी परिस्थिति मे ऐसे व्यक्ति भविष्य मे अपनी क्षमताओं के साथ मूलक कार्यों मे उचित योगदान नहीं दे पते है ! इसलिए वनवासी क्षेत्रके बालक बालिकाओं के लिए छात्रावास प्रारंभ कर शिक्षा से वंचित रहने वाले आदिवासी छात्र साथ छात्राओं की शिक्षा की व्यावस्था की गई !

छात्रावास कार्य संचालन के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता नियुक्त किये गये है पढाई स्थानीय विद्यालय सरस्वती शिशु मंदिर मे होती है तथा पढाई के अतिरिक्त छात्रावास मे जो देनिक कार्यक्रम रहते है उनमे योग शिक्षा, व्यायाम , खेल कूद , संस्कार वर्ग , लोककला , प्रार्थना इत्यादि का समावेश किया जाता है ! छात्रों को समाजिक�आचार व्यवहारका कार्यानुभव हो इसलिए विशेष�प्रयास किया जाता है !
संस्कार केंद्र / कोचिंग सेंटर
वर्तमान टी . वी के बढ़ते प्रकोप से मुक्ति हेतु पिछडी बस्तियों मे कम आयु के बच्चो मे संस्कार की कमी को दूर करने के लिए सेवा भारती द्रारा भारतीय संस्कार देने का काम किया जा रहा है !
शिक्षा सामाजिक विकास का मूल आधार है ! सेवा�बस्तियोंके उदयमानभविष्यके आधार स्त्म्व बालक बालिकाओं को संस्कार शिक्षा प्रदान करने के लिए अनेक संस्कार केंद्र चलायें जा रहें है ! तथा बोर्ड परीक्षा के छात्र छात्राओं हेतु कोचिंग कक्षाये चलाई जाती है !

सिलाई केंद्र
घर गृहस्थी सँभालने वाली महिलाएं अपने परिवार की आर्थिक आय मे कुछ योगेदान दे सकती है ? वे चाहती है की , अपने परिवार की समुचित देखभाल करते हुए कुछ ऐसी कला सीखे जिसके आधार पर वे कुछ धन कमा सके ऐसी महिलायों के आर्थिक सबलीकरण हेतु उनेह सिलाई कढाई की शिक्षा देना यह एक व्यावहारिक विकल्प हो सकता है ! इसी विचार से सिलाई केंद्र चलायें जा रहे है ! इन केन्द्रों मे बालिकाए भी आती है !
माँ तुलजा भवानी के पास, बिलासपुर 495001 कुदूणड ( . )

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